PM-किसान योजना 2024-25

PM-किसान योजना 2024-25

PM-किसान योजना, योजना का औचित्य

कृषि विकास और उत्पादन गतिशीलता को अगले स्तर तक ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे की भूमिका महत्वपूर्ण है। अवसंरचना के विकास के माध्यम से ही, विशेष रूप से फसलोपरान्त अवस्था में ही उत्पाद का इष्टतम उपयोग किया जा सकता है और किसानों के लिए मूल्य संवर्धन और उचित व्यवहार का अवसर प्राप्त किया जा सकता है। ऐसी अवसंरचना के विकास से प्रकृति की अनिश्चितताओं, क्षेत्रीय असमानताओं, मानव संसाधनों के विकास और हमारे सीमित भूमि संसाधन की पूर्ण क्षमता की प्राप्ति का भी समाधान होगा।माननीय वित्त मंत्री ने 15 मई 2020 को किसानों के लिए फार्म-गेट बुनियादी ढांचे के विकास के उद्देश्य से 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि बुनियादी ढांचा कोष घोषित किया यह कोष विशेष रूप से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं पर आधारित परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए होगा। इस पहल के तहत, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स और अन्य कृषि से जुड़े समूहों को कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये का वित्तीय सहायता पैकेज प्रदान किया जाएगा।

यह वित्तीय सहायता कृषि क्षेत्र के सुधार और विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों को मजबूत करने, कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण करने, और कृषि उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण तथा वितरण की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करेगी। इससे किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच प्राप्त होगी, और उनके लिए कृषि में नवाचार और प्रौद्योगिकी को अपनाने के अवसर भी बढ़ेंगे।
इसका उद्देश्य कृषि के ढांचे को मजबूत करना है, जैसे कि भंडारण सुविधाएं, कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, और कृषि उत्पादों का परिवहन। इससे किसानों की आय बढ़ाने, कृषि में नवाचार लाने और कृषि व्यवसायों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
साथ ही, यह पहल कृषि आधारित उद्योगों, स्मार्ट कृषि तकनीक, और सप्लाई चेन को बेहतर बनाने में सहायक होगी, ताकि किसानों को अपने उत्पादों को बेचने में आसानी हो और उनका मुनाफा बढ़ सके।
फार्म गेट और एग्रीगेशन पॉइंट, सस्ती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रोत्साहन। तदनुसार, कृषि एवं सहकारिता विभाग ने प्रोत्साहनों और वित्तीय सहायता के माध्यम से फसलोपरान्त प्रबंधन, अवसंरचना और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों से संबंधित व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यावधिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए केन्द्रीय क्षेत्र स्कीम तैयार की है।

योजना का औचित्य

कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ भारत की कुल आबादी के ~58% के लिए प्राथमिक आय स्रोत हैं। ~85% किसान छोटे जोत वाले किसान (SHF) हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि पर खेती होती है और वे ~45% कृषि भूमि का प्रबंधन करते हैं। अधिकांश किसानों की वार्षिक आय बहुत कम है। इसके अलावा, भारत में किसानों को बाजारों से जोड़ने वाला बुनियादी ढांचा सीमित है और इसलिए, 15-20% उपज बर्बाद हो जाती है, जो अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है, जहाँ यह 5-15% के बीच है। भारत में कृषि में निवेश पिछले 5 वर्षों में 2% से कम CAGR के साथ स्थिर रहा है। वित्त वर्ष 2017 में निवेश ~ 2.19 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से निजी क्षेत्र का हिस्सा ~83% था, जबकि वित्त वर्ष 2014 में ~ 2.50 लाख करोड़ रुपये का उच्च निवेश हुआ था और निजी क्षेत्र का हिस्सा ~88% था। इसके अलावा, निवेशकों के विश्वास की कमी के कारण अन्य क्षेत्रों (सकल मूल्य संवर्धन का ~33%) की तुलना में प्लोवबैक अनुपात कम (वित्त वर्ष 2018 में सकल मूल्य संवर्धन का ~14%) हो रहा है।

राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के बीच वित्तपोषण सुविधा का संभावित आवंटन

1 Uttar Pradesh 12831
2 Rajasthan 9015
3 Maharashtra 8460
4 Madhya Pradesh 7440
5 Gujarat 7282
6 West Bengal 7260
7 Andhra Pradesh 6540
8 Tamil Nadu 5990
9 Punjab 4713
10 Karnataka 4525
11 Bihar 3980
12 Haryana 3900
13 Telangana 3075
14 Kerala 2520
15 Odisha 2500
16 Assam 2050
17 Chhattisgarh 1990
18 Jharkhand 1445
19 Himachal Pradesh 925
20 Jammu & Kashmir &Ladakh 900
21 Uttarakhand 785
22 Tripura 360
23 Arunachal Pradesh 290
24 Nagaland 230
25 Manipur 200

यदि आवश्यक हुआ तो नाबार्ड द्वारा अपनी नीति के अनुसार सहकारी बैंकों और आरआरबी सहित सभी पात्र ऋणदाता संस्थाओं को आवश्यकता आधारित पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

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